ग्रहों के सहज ज्योतिषीय उपाय

ग्रहों के सहज ज्योतिषीय उपाय

“उद्यमेन ही सिदध्यन्ती कार्याणि ने मनोरथे:।न ही सुप्तस्य सिंहस्ये प्रविशांति मुखे मृग :।” अर्थात“कोई भी काम उद्यम (मेहनत) से ही पूर्ण होता है बैठे-बैठे हवाई किले बनाने से कभी नहीं होता है, सिर्फ सोचने भर से नहीं होता है।ठीक उसी प्रकार जैसे सोते हुए शेर के मुंह में हिरण खुद नहीं चला जाता है। Any…